जैसे ही मेरी देवी मित्र अवाक हो गई, उसने कामुकता से अपनी कमसिन आनन्द की छड़ी को मेरी रसीली चूत के खिलाफ सहला दिया। उसके कुशल हाथ मेरी संवेदनशील योनि को छेड़ते हुए, आनंद की लहरों को भड़काते थे। हमारी अंतरंग मुठभेड़ सामने आई, जिससे हमारी अतृप्त इच्छाएं प्रकट हुईं।